हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम लीडर ने समोवार 20 अक्टूबर 2025 की सुबह को खेलों के मुख़्तलिफ़ अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों और अंतर्राष्ट्रीय साइंसी ओलंपियाड्स में मैडल हासिल करने वाले सैकड़ों अफ़राद और चैंपियनों से मुलाक़ात की।
उन्होंने इस मौक़े पर अपने संबोधन में मुल्क़ और क़ौम के लिए इन इफ़्तिख़ार आफ़रीन खिलाड़ियों और मैडल हासिल करने वालों को क़ौम की पीशरफ़्त का मज़हर और ताक़त का जलवा बताया और कहा कि आपने साबित कर दिया कि क़ौम के मज़हर की हैसियत से प्रिया ईरान की उम्मीद आफ़रीन जवानों में यह ताक़त पाई जाती है कि वो सब से ऊँची चोटियों पर खड़े हों और दुनिया के ज़ेहनों और आँखों को ईरान की मुनव्वर फ़ज़ा की तरफ़ मुतवज्जेह कराएँ।
उन्होंने ऐसे पुर-अज़्म जवानों के दरमियान अपनी मौजूदगी पर प्रसन्नता ज़ाहिर करते हुए कहा कि आपने खेल और साइंस के मैदानों में अपनी कोशिशों और हौसले से क़ौम को खुश किया और जवानों को इश्तियाक़ दिलाया। उन्होंने कहा कि आपके मैडल दूसरे ज़मानों के मैडलो से कहीं ज़्यादा महत्व रखते हैं क्योंकि आपने ये मैडल ऐसे हालात में हासिल किए हैं जब दुश्मन सॉफ़्ट वार के ज़रिए क़ौम को मायूस करना और उसकी तवानाइयों से ग़ाफ़िल करना चाहता है, लेकिन आपने मैदान-ए-अमल में क़ौम की ताक़त व तवानाई का इज़्हार करके उसे सबसे दंदान-शिकन जवाब दिया है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामनाई ने इसी तरह अमरीकी सदर की हालिया हरज़हसराई और बकवास की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि उस शख़्स ने कोशिश की कि अपने ऊँचे रवैये और ख़ित्ते, ईरान और ईरानी क़ौम के बारे में बेहिसाब झूठ के ज़रिए ज़ायोनियों की हौसला-अफ़ज़ाई करे और खुद को ताक़तवर ज़ाहिर करे। लेकिन अगर उसमें ताक़त है तो उन दसियों लाख लोगों को पुरसुकून करे जो अमरीका की मुख़्तलिफ़ रियासतों में उसके ख़िलाफ़ नारे लगा रहे हैं।
उन्होंने 12 दिवसीय युद्द में जायोनी हुकूमत पर पड़ने वाले इस्लामी जम्हूरिया के ना-मुमकिन से थप्पड़ को ज़ायोनियों की मायूसियों का सबब बताया और कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि ईरान के मिज़ाइल उनके हस्सास और अहम मराकिज़ तक पहुंच जाएंगे और उन्हें तबाह कर देंगे।
सुप्रीम लीडर ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि ईरान ने मिज़ाइल कहीं से ख़रीदे नहीं हैं बल्कि वो ईरानी जवानों के हाथों बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि जब ईरानी जवान मैदान में आता है और अपनी कोशिशों से साइंसी इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करता है तो वो ऐसे बड़े-बड़े काम करने की क़ाबिलियत रखता है। हमारी मुसल्लह फ़ोर्सेज़ और फौजी इंडस्ट्रीज़ के पास ये मिज़ाइल पहले से तैयार थे, उन्होंने उन्हें इस्तेमाल किया और उनके पास ऐसे मिज़ाइल और भी हैं — अगर ज़रूरत हुई तो वो फिर से इस्तेमाल किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि ग़ज़्ज़ा युद्ध में यक़ीनी तौर पर अमरीका ज़ायोनी हुकूमत का असली शरीक-ए-जुर्म है, जैसा कि खुद अमरीकी सदर ने इकरार किया कि हम ग़ज़्ज़ा में इस सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे थे। अगर वो इकरार न भी करते तो भी यह बात वाज़ेह थी क्योंकि ग़ज़्ज़ा के बेसहारा लोगों को अमरीकी हथियारों से ही निशाना बनाया जा रहा था।
आयतुल्लाह ख़ामनाई ने आतंकवाद से अमरीका की जंग के ट्रम्प के दावे को उनकी झूठी बातों की एक और मिसाल बताया और कहा कि ग़ज़्ज़ा की जंग में बीस हज़ार से ज़्यादा छोटे और नव-मौलूद बच्चे शहीद हुए — क्या वो दहशतगर्द थे? आतंकवादी तो अमरीका है जिसने दाइश को पैदा किया और उसे लोगों की जान के पीछे लगा दिया, और आज भी वो दाइश के बहुत से अफ़राद को अपने कंट्रोल में रखे हुए है ताकि वक़्त पर उन्हें इस्तेमाल कर सके।
उन्होंने ग़ज़्ज़ा की जंग में सत्तर हज़ार लोगों के क़त्ल और 12 दिवसीय युद्ध में एक हज़ार से ज़्यादा ईरानियों की शहादत को अमरीका और ज़ायोनी हुकूमत को आतंकवाद का खुला सबूत बताया और कहा कि उन्होंने आम लोगों के अलावा तहेरांची और अब्बासी जैसे हमारे साइंसीदानों को भी निशाना बनाया और इस जुर्म पर फख्र किया, लेकिन उन्हें मालूम होना चाहिए कि साइंस को क़त्ल नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम लीडर ने अमरीकी सदर की उन बातों की तरफ़ इशारा करते हुए कहा जिनमें उन्होंने ईरान की एटमी सनअत पर बमबारी पर फख्र किया था, कहा कि कोई बात नहीं — आप उस ख़याल में रहिए, लेकिन आप हैं कौन कि किसी मुल्क़ से कहें कि यह करो या वो न करो। अमरीका से क्या मतलब कि ईरान के पास एटमी सनअत और वसाइल हैं या नहीं। यह ग़लत दख़लअंदाज़ी और मनहज़ोरी है।
उन्होंने अमरीका की मुख़्तलिफ़ रियासतों और शहरों में क़रीब सत्तर लाख लोगों की शिरकत से ट्रम्प के ख़िलाफ़ होने वाले मुज़ाहिरों की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि अगर आप में इतनी तवानाई है तो झूठ फैलाने, दूसरे देशों में दख़ल देने और फौजी अड्डे बनाने के बजाय उन दसियों लाख लोगों को पुरसुकून कीजिए और उन्हें उनके घरों को लौटाइए।
आयतुल्लाह ख़ामनाई ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि हक़ीक़ी दहशतगर्द और दहशतगर्दी का मज़हर अमरीका है। उन्होंने ईरानी अवाम की हिमायत के ट्रम्प के दावे को झूठा बताया और कहा कि अमरीका की सेकेंडरी पाबंदियां भी ईरानी क़ौम के ख़िलाफ़ हैं, इस लिए वो दोस्त नहीं, दुश्मन हैं।
उन्होंने डील के लिए ट्रम्प की आमादगी के ऐलान की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि वो कहते हैं कि “मैं डील करने वाला इंसान हूँ”, जबकि अगर डील मनहज़ोरी के साथ हो और उसका नतीजा पहले से तय हो तो वो डील नहीं बल्कि डिक्टेशन है — और ईरानी क़ौम कभी भी डिक्टेशन बर्दाश्त नहीं करेगी।
सर्वोच्च नतेा ने मग़रिबी एशिया के ख़ित्ते में मौत और जंग के बारे में ट्रम्प की एक और बात की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि “जंग आप शुरू कराते हैं, अमरीका ही जंग फैलाने वाला है और लोगों को क़त्ल करता है, वरना इस ख़ित्ते में अमरीका के इतने ज़्यादा फौजी अड्डों का क्या मतलब है? आप यहाँ क्या कर रहे हैं? इस इलाक़े का आप से क्या लेना देना है? यह इलाक़ा यहाँ के लोगों का है और यहाँ की मौत और जंग आपकी मौजूदगी की वजह से है।”
उन्होंने अपने संबोधन के आख़िर में अमरीकी सदर के मौक़िफ़ को ग़लत और बहुत-से मामलात में झूठ और दरोग़-गुई पर मबनी बताया और कहा कि हो सकता है कुछ मुल्क़ों पर मनहज़ोरी असर कर जाए लेकिन अल्लाह की तौफ़ीक़ से ईरानी क़ौम पर इसका कोई असर नहीं होगा।
आयतुल्लाह सय्यद अली ख़ामनाई ने अपने ख़िताब के एक हिस्से में इन्क़लाब के बाद कुछ शोबों में होने वाली तेज़ रफ़्तार तरक़्क़ी की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि इस साल खिलाड़ियों और ओलंपियाड्स में शिरकत करने वालों की ज़बरदस्त कामयाबी वाक़ई मुल्क़ की स्पोर्ट्स तारीख़ में बे-मिसाल है।
उन्होंने मुल्क़ के परचम के एहतराम, मैदान में खिलाड़ियों के सज्दे और दुआ को ईरानी क़ौम का मज़हर बताया और कहा कि साइंसी ओलंपियाड्स में शिरकत करने वाले ये अज़ीज़ जवान फिलहाल एक दरख़्शाँ सितारा हैं, लेकिन दस साल बाद जद्दोजहद जारी रखने की शर्त पर वो दरख़्शाँ ख़ुरशीद बन जाएंगे — और इस सिलसिले में ज़िम्मेदार अफ़राद पर संगीन ज़िम्मेदारी है।
सुप्रीम लीडर ने इस्लामी इन्क़लाब की कामयाबी के बाद जवानों की जानिब से निभाए गए अहम किरदार को एक मुसलसल अमल बताया और कहा कि आठ साल की मुसल्लत जंग में जवान नस्ल ने बेसुमार मेहरूमियों और खाली हाँथ होने के बावजूद ऐसी अज़ीम फौजी जिद्दत-तराज़ियाँ दिखाईं कि ईरान, सर-तापर मुसल्लह दुश्मन के मुकाबले में, जिसे हर तरफ़ से सहारा हासिल था, फत्तह-याब हुआ।
उन्होंने ईरान की मुख़्तलिफ़ साइंसी पेशरफ़्तों को रोकने की दुश्मनों की कोशिश की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि वो अब भी कोशिश में हैं कि कुछ कामयाबियों को नज़रअंदाज़ कर दें या उनका इन्कार करें, और कुछ कमियों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करें ताकि ईरान का माहौल तारीक दिखाई दे। मगर आपने स्पोर्ट्स और साइंस की चोटियों पर खड़े होकर मुल्क़ की रोशन फ़ज़ा पूरी दुनिया को दिखा दी।
आयतुल्लाहिलल उज़्मा सय्यद अली ख़ामनाई ने आख़िर में दोबारा कहा कि अमरीकी सदर की हालिया हरज़हसराई और बकवास उसके झूठे और कमज़ोर मिज़ाज की अलामत है — अगर उसमें दम है तो अपने मुल्क़ के अंदर उठने वाले लाखों मुज़ाहिरों को ख़ामोश करे जो उसी के ख़िलाफ़ नारे लगा रहे हैं।
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